मंगलवार, 28 मई 2013

तेरी मसरूफियत और मेरी मजबूरी



समझता हूँ तेरी मसरूफियत को भी 
 जानता हूँ तेरी घबराहट को भी 
 तेरी हर एक झिझक का अंदाजा है मुझे 

 मेरी मजबूरियों को भी तू समझ 
 इंतज़ार के सिवा ना कोई  
 ना कोई आसरा न कोई रास्ता मेरा 

 - - अजय

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

पहली मुलाकात



तेरे इंतज़ार का हर लम्हा
हर लम्हा यूं ही लंबा होता जाता था

मिलन की आस मुझे थी लेकिन
मै यूं ही हर पल चलता जाता था
 
तेरे मिलन की आस मुझे हर पल
दूर किरण एक आशा की दिखलाती थी
 
भान मुझे था की तुम कैसी हो ..
भोली भाली और थोड़ी इठलाती सी

प्यार ढेरों होगा तेरे दिल में और
अभिव्यक्ति होगी तेरे मुखड़े पर
 
नहीं भूलेगा वो पल
हाँ नहीं भूलेगा वो एक पल मुझे
जब तुमसे मेरी नज़र मिली

तेरी  नज़रों में उमड़ता
वो मेरे लिए ढेरों प्यार मिला
 
तेरी आँखों में वो हीरे सी चमक 
तेरी वो हर पल मुझे लुभाती मुस्कुराहट

वो तेरी जुल्फों का तेरे गालों पर गिरना
और वो तेरा
नटखट सा खिलखिलाना  
 
तेरी हर एक साँस और
दिल की हर एक धड़कन .....

सब याद है मुझे .. हरेक पल याद है मुझे
सदा ही याद रहेगा मुझे ... वो हर एक पल

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

अब रहा नहीं जाता .........



अब रहा नहीं जाता है
तेरे लिए हर पल ये दिल धड़कता है

तू क्यों नहीं आती दो पल के लिए भी
बस ये ही मेरा मन सोचा करता है

ना जाने कब वो रैन आएगी
ना जाने कब वो पल आएगा
ये बेचारा दिल बाट जोहता रहता है

फिर तेरा दीदार होगा
फिर तेरी मुस्कान होगी

फिर तेरा स्पर्श होगा
फिर तेरी खिलखिलाहट होगी

ना जाने वो कैसा एहसास होगा
ना जाने वो कैसा पल होगा

तू मेरे आस पास होगी
और ना कोई हमारे साथ होगा

अब तो लगता   है जैसे
क्या  ये कभी सच होगा

होगा तो ये कब होगा
और गर ये होगा

अब तो लगता  है की गर ये होगा
तो ना जाने इन् अंखियो को विश्वास होगा
या ना होगा

तू इन् अखियो को विश्वास दिलाने ही आजा

बस दो पल को आजा

शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

रिश्ते -- दिल और दिमाग




रिश्ते हमे चाहे जितने दर्द दे ॥
तब भी हम उन्हें दिल से निभाये जाते है ...

वो तो हमारे दिल में रहते है
जिनसे हम रिश्ते बना लेते है .....

क्योंकि जो रिश्ते दिमाग से निभाने की कोशिश करते है ....
वो हर रिश्ते को निभाने की एक वजह ढूँढा करते है ......

रिश्ते तो एक जज़्बात होते है .....
जो दिल से उठते है और दर्द हो या खुशी ...
दिल में ही बस जाते है .....

रिश्ते तो सिर्फ और सिर्फ दिल से बनते है ...
और दिल से ही निभाये जाते है

शनिवार, 27 नवंबर 2010

बूंदे जो बनती हैं .....


बूंदे जो बनती हैं ..... बन कर बरसती हैं
लगता है उन्हें मेरे अरमान पता हैं


बूंदे जो बरसती हैं ..... बरस कर मिट जाती हैं
लगता है उन्हें मेरे दिल का हाल पता है


बूंदे जो मिटती हैं .... मिट कर बह जाती हैं
लगता है उन्हें मेरे बीतो पलों का इतिहास पता है


बूंदे जो बह कर फिर उठ जाती हैं .... बादल बन जाती हैं
लगता है उन्हें मेरे प्यार को पाने के जज्बे का पता है

शुक्रवार, 5 मार्च 2010

ईश्वर की अनमोल नेमत : बेटी


ओ निर्दयी बेरहम इंसान …..
आ देख मुझे भी एक पल
बेटी न होने की टीस होती है कैसी ……
और कैसे वो मुझे चसकती है …



तुने वो कुदरत की सबसे अनमोल नेमत पा कर
पा कर भी ठुकरा दी है …….
मुझे तो उस खुदा ने नहीं बख्शी वो
वो अपनी सुन्दरतम कृती ……..
नही गुलज़ार किया उसने मेरे आँगन को …..
उस कोमलतम कली से …..



मुझे चाहिए वो मधुरतम खिलखिलाहट ……..
हाँ मुझे भी चाहिये ………..
बेटी का भोलापन और …………
और उसका अपने स्वीट पापू से लिपटना ….
मम्मी की डांट से बच कर …..
पापा की गोद में दुबकना ….
गल्लू पर मीठी सी पुच्ची दे कर दौड़ जाना …….



बेटी का इठलाना और ठुमकना …………
उसका शोरूम में टंगी हुई फ्रॉक के लिए मचलना ….
चमकते हुए गोटे वाला लहंगा पहन कर ….
शादी में फुदकना और डांस करना ………

उसका सारे घर में वो मटकना और चहकना …….
और फिर प्यार से बुलाना "मेले पापा" "पाले पापा"


मुझे तो यह सब कुछ नहीं मिला रे ओ इंसान
काश की तू मेरी हसी उड़ा कर ही कुछ सीख ले
बेटी, जो तेरी अमूल्य निधि है उसको सहेज ले

बुधवार, 25 नवंबर 2009

तुम यूं आ गयी हो ........






तुम यूं आ गयी हो ……….
जिन्दगी मुस्कुराने लगी है ……………

यूं ही तुम्हारा खिलखिलाना ………..
और खिलखिला कर मुझे आवाज़ देना ………
मुझे चकित कर देता है और उर्जावान भी ……..
फिर एक बार इंतज़ार होता है तुम्हारे खिलखिलाने का ……

तेरी शोखी और तेरा वो शिशु सा मचलना ….
और मचल कर फिर मुझे आवाज़ देना ………
मुझे यूं आल्हादित कर देता है और धनवान भी …..
फिर एक बार इंतज़ार होता है तेरी आवाज़ का …

किसी ने पुछा धनवान ?????
मैंने इतराते हुए कहा हाँ धनवान …..
बताओ जरा ………. ??
कोई कितने भी धन से क्या पा सकता है
वो मुस्कराहट, वो खिलखिलाहट तेरी
वो शोखी, वो मचलना तेरा

मन तो होता है तुझको बाहों में कस लू
कस के बाहों मे तुझको
एक स्पर्श दूं अपने अधरों का ………
तू अपने कापते अधरों को बस यूं ही रहने दे …
और अपनी पलकों को मूँद कर …………
मौन स्वीकृति दे दे मेरे स्पर्श को …..

लेकिन फिर सोचता हूँ की ………
कही में लोभी तो नहीं हो गया हूँ …..
हाँ शायद ऐसा ही है …….

मै नहीं खोना चाहता हूँ ….
वो तेरी मुस्कराहट का आनंद .…
वो तेरी खिलखिलाहट का जादू …………
वो तेरी शोखी का रस …….

तुम यूं आ गयी हो ………
जिन्दगी मुस्कुराने लगी है ……………