अब रहा नहीं जाता है
तेरे लिए हर पल ये दिल धड़कता है
तू क्यों नहीं आती दो पल के लिए भी
बस ये ही मेरा मन सोचा करता है
ना जाने कब वो रैन आएगी
ना जाने कब वो पल आएगा
ये बेचारा दिल बाट जोहता रहता है
फिर तेरा दीदार होगा
फिर तेरी मुस्कान होगी
फिर तेरा स्पर्श होगा
फिर तेरी खिलखिलाहट होगी
ना जाने वो कैसा एहसास होगा
ना जाने वो कैसा पल होगा
तू मेरे आस पास होगी
और ना कोई हमारे साथ होगा
अब तो लगता है जैसे
क्या ये कभी सच होगा
होगा तो ये कब होगा
और गर ये होगा
अब तो लगता है की गर ये होगा
तो ना जाने इन् अंखियो को विश्वास होगा
या ना होगा
तू इन् अखियो को विश्वास दिलाने ही आजा
बस दो पल को आजा
कोमल शब्दों में आने की मनुहार ॥सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंतू इन् अखियो को विश्वास दिलाने ही आजा
जवाब देंहटाएंबस दो पल को आजा
बहुत सुन्दर भाव... सुन्दर रचना... उम्मीद पर दुनिया कायम है... शुभकामनाएं...
मन के भावो को शब्द दे दिए आपने......
जवाब देंहटाएंwaah kya baat hei......pyar ke baad jab dard ata hei aur dard jab shabdo mei dhalta hei....to yahi bhav dil se nikalte hei....
जवाब देंहटाएंsunder abhiviyakti
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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