
रिश्ते हमे चाहे जितने दर्द दे ॥
तब भी हम उन्हें दिल से निभाये जाते है ...
वो तो हमारे दिल में रहते है
जिनसे हम रिश्ते बना लेते है .....
क्योंकि जो रिश्ते दिमाग से निभाने की कोशिश करते है ....
वो हर रिश्ते को निभाने की एक वजह ढूँढा करते है ......
रिश्ते तो एक जज़्बात होते है .....
जो दिल से उठते है और दर्द हो या खुशी ...
दिल में ही बस जाते है .....
रिश्ते तो सिर्फ और सिर्फ दिल से बनते है ...
और दिल से ही निभाये जाते है