शुक्रवार, 5 मार्च 2010

ईश्वर की अनमोल नेमत : बेटी


ओ निर्दयी बेरहम इंसान …..
आ देख मुझे भी एक पल
बेटी न होने की टीस होती है कैसी ……
और कैसे वो मुझे चसकती है …



तुने वो कुदरत की सबसे अनमोल नेमत पा कर
पा कर भी ठुकरा दी है …….
मुझे तो उस खुदा ने नहीं बख्शी वो
वो अपनी सुन्दरतम कृती ……..
नही गुलज़ार किया उसने मेरे आँगन को …..
उस कोमलतम कली से …..



मुझे चाहिए वो मधुरतम खिलखिलाहट ……..
हाँ मुझे भी चाहिये ………..
बेटी का भोलापन और …………
और उसका अपने स्वीट पापू से लिपटना ….
मम्मी की डांट से बच कर …..
पापा की गोद में दुबकना ….
गल्लू पर मीठी सी पुच्ची दे कर दौड़ जाना …….



बेटी का इठलाना और ठुमकना …………
उसका शोरूम में टंगी हुई फ्रॉक के लिए मचलना ….
चमकते हुए गोटे वाला लहंगा पहन कर ….
शादी में फुदकना और डांस करना ………

उसका सारे घर में वो मटकना और चहकना …….
और फिर प्यार से बुलाना "मेले पापा" "पाले पापा"


मुझे तो यह सब कुछ नहीं मिला रे ओ इंसान
काश की तू मेरी हसी उड़ा कर ही कुछ सीख ले
बेटी, जो तेरी अमूल्य निधि है उसको सहेज ले

21 टिप्‍पणियां:

  1. dil ki gehrahiyon tk pahuchee hai,aap ki yeh behad khubsurat kavita

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  2. bahut sunder bilkul tumhare mann ki tarah

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  3. bahut sunder likha hai sach mauch hi "dil sey "koi shabd nahi hai iss kavita key liye..thanx ajay sahi mai tum unbeatable ho....keep it on...

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  4. Really it is really unbeatable like ur name.
    Wish U all the best.

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  5. kisi bitiyaa ka kisi ghar mei honaa
    kisi bhi insaan ke liye
    punya kamaa lene jaisi baat hai...
    yahi aapki rachnaa ka sandesh hai

    abhivaadan .

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  6. ur poem is very beautiful with simple beautiful'dil se' words n shows the importance of sweet loving daughters in every family...blessed r those who gets chance to raice their female child....

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  7. बहुत सुन्दर भाव समेटे हैं ...बेटियां बहुत प्यारी होती हैं ...काश इस बात को सब समझ पाते ...

    मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया

    यहाँ भी देखें

    http://geet7553.blogspot.com/2010/10/blog-post_05.html

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  8. बहुत ही खूबसूरती से बेटी के प्यार को वर्णित किया है...सचमुच जो लोग बेटियों की कद्र नहीं करते..इंसान कहलाने के लायक नहीं हैं.

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  9. एक पिता ही बेटी की उपस्तिथि को समझ सकता है,,,बेहतरीन शब्द संयोजन सर |

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  10. ajay this peom touched me really i too miss a daughter

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  11. really papa jesa pyaar apni beti ko koi nahi karta..and apne is khoosurat kavita me uski puri life baya kar di...beti sach me special me ..sabke liye

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  12. aapki ye poem pdhkr sukun mila ke oi to hai jo is vedna ko apna rha h..

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  13. मुझे तो यह सब कुछ नहीं मिला रे ओ इंसान
    काश की तू मेरी हसी उड़ा कर ही कुछ सीख ले
    बेटी, जो तेरी अमूल्य निधि है उसको सहेज ले...........bhut sahi baat likhi aapne..aaj v log betiyon ko bojh hi samjhte chahe wo jin rupo me ho....sahejna sabki bash ki baat nhi hoti....bhut sundr

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  14. bahut hi khobsurat kavita hai ye aap ki,
    dil ki gaharaiyo tak chu gayi hai.
    is time mai apni dono betiyo ko miss kar rahi hu,
    jin ke ghar mai betiya nahi wo ghar ghar nahi.
    so touching Ajay ji

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  15. आपकी खुद की भावनाए कविता के रूप मे उतरी है इसलिए बहुत अच्छी है .


    .मुझे चाहिए वो मधुरतम खिलखिलाहट ……..
    हाँ मुझे भी चाहिये ………..
    बेटी का भोलापन और …………
    और उसका अपने स्वीट पापू से लिपटना ….
    मम्मी की डांट से बच कर …..
    पापा की गोद में दुबकना ….
    गल्लू पर मीठी सी पुच्ची दे कर दौड़ जाना

    अच्छी पन्तियाँ ........

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  16. bahut khobsurat aur dil ko chu lene wali kavita hai ye aaj is vishaya par gharay se sohane aur kuch karne ki jarurat hai

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