अब रहा नहीं जाता है
तेरे लिए हर पल ये दिल धड़कता है
तू क्यों नहीं आती दो पल के लिए भी
बस ये ही मेरा मन सोचा करता है
ना जाने कब वो रैन आएगी
ना जाने कब वो पल आएगा
ये बेचारा दिल बाट जोहता रहता है
फिर तेरा दीदार होगा
फिर तेरी मुस्कान होगी
फिर तेरा स्पर्श होगा
फिर तेरी खिलखिलाहट होगी
ना जाने वो कैसा एहसास होगा
ना जाने वो कैसा पल होगा
तू मेरे आस पास होगी
और ना कोई हमारे साथ होगा
अब तो लगता है जैसे
क्या ये कभी सच होगा
होगा तो ये कब होगा
और गर ये होगा
अब तो लगता है की गर ये होगा
तो ना जाने इन् अंखियो को विश्वास होगा
या ना होगा
तू इन् अखियो को विश्वास दिलाने ही आजा
बस दो पल को आजा